सर्व बाधा मुक्ति यज्ञ
पंच महायज्ञ
लक्ष्मी नारायण यज्ञ
पंच महायज्ञ
लक्ष्मी नारायण यज्ञ
दैविक, दैहिक, भौतिक तापो के निवारण हेतु
ब्रह्मयज्ञ : वेदों के पठन-पाठनको 'ब्रहायज्ञ' कहते है।
देवयज्ञ : अपने इष्टदेव की उपासना के लिये परब्रहा परमात्माकं निमित्त अग्नि में किये हुए हवन को 'देवयज्ञ' कहते है।
भूतयज्ञ : कृमि, कीट, पतंग, पशु आदि की सेवाको 'भूतयज्ञ' कहते हैं।
पितृयज्ञ : अर्थमादि नित्य पितरों की तथा परलोकगामी नैमित्तिक पितरों की पिण्ड प्रदानादि से किये जाने वाले सेवारूप यज्ञ को 'पितृयज्ञ' कहते है।
मनुष्य यज्ञ : क्षुधा से अत्यन्त पीडित मनुष्य के घर आ जाने पर उसकी भोजनादि से को जानेवाली सेवारूप यज्ञ को 'मनुष्ययज्ञ' कहते है।
इन पवित्र और दिव्य यज्ञों में भाग लें और अपने जीवन में गहरी दिव्यता और परिवर्तन का अनुभव करें। स्वामी जी की पावन मार्गदर्शन में यह यज्ञ प्रतिदिन आयोजित किए जाते हैं। यजमान बनने के लिए आप हमारे साथ पंजीकरण कर सकते हैं और अपनी इच्छा अनुसार कोई भी राशि योगदान कर सकते हैं। आपके द्वारा एक आहुति भी आपके भाग्य और जीवन को बदलने की क्षमता रखती है। अपने अनुभव साझा करें और इस आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बनें।